जलियावाला काण्ड भूलते
सदियाँ बीती पर घाव हरे ...
पर देने को नित नए घाव
प्रशासन में भ्रष्टाचारी भरे ...
जब देर रात की निद्रा में
विलीन हो गए थे योगी दल ...
सत्ता के घमंड में चूर हुए
भोगी आ पहुचे ले दल बल ...
जानेगा दर्द भला वो क्यों
जिसने दौलत डॉलर में खायी ...
पर देशभक्त स्वामी जी ने
भक्ति की कीमत बड़ी चुकाई ....
क्या कह दूँ इसे नृशंस प्रहार
मानव का मानवता पर बस ...
क्या छिप जाऊ फिर से कोने में
फिर से कहकर ये अमावास ...
अब तक तो सहता आया मैं ,
कुछ भी उनसे न कहता था ..
भ्रष्टाचारी के दल में,
चुप चुप मर मर के जीता था ...
आज अगर संबल मुझको तो ,
चल दूंगा मैं सीना ताने ...
इस घर के दूषित लोगों को ,
कर दूंगा खुद ही बेगाने ...
जब बात राष्ट्र की आती है
तो क्या तेरा और क्या मेरा ..
ये मातृभूमि की वेदी है
रक्षा करना कर्तव्य मेरा ....
गर बहता है खून रगों में तो
खौलना इसका स्वाभाविक है ...
पानी है तो कोई और नहीं
तू ही तो वो अपमानित है ....
हम निबल नहीं हैं शांत भले ,
हक़ को ऊँची आवाज उठे ..
जो चोट लगे स्वाभिमान पर ,
उठ जाये उंगली फिर हाथ उठे ...
राष्ट्र हितों के आड़े हमने
ना आने दी आँखों की नमी ...
हक़ को अपने हमने जीती
आजादी से लेकर कारगिल की जमीं...
चल आजा फिर तू , संग चलें
एक नया आह्वान करें ...
भारत नव निर्माण को हम .
आओ मिलकर मार्ग प्रशस्त करें ...
- नवीन कुमार सोलंकी
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
बहुत बहुत शुक्रिया भास्कर जी स्वागत के लिए.......आपका भी हमारे ब्लॉग में तहेदिल से स्वागत है........:)
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