एक बार फिर हार गया मैं ,
पर मन मेरा नहीं हारा ...
अनुभव इक और मिला मुझको ,
अब पा लूँगा मैं ये जग सारा ...
उम्मीद टूटती औरों की है ,
हम तो बड़े दिल वाले हैं ....
हिम्मत रख आगे बढ़ते जो ,
हम तो वही मतवाले हैं ...
लाखों अड़चन आती पग में ,
पर विश्वास नहीं डिगता ...
मुझको दुर्बल करती रस्में ,
पर लक्ष्य से ध्यान नहीं हटता ...
हम वो कहाँ जो थककर रुक जाएँ ,
हम शिखा जीतने वाले हैं ...
हिम्मत रख आगे बढ़ते जो ,
हम तो वही मतवाले हैं ....
बार बार गिरते हैं हम पर ,
उठना गिरने से ही सीखा ...
बार बार चोटिल हैं पर ,
चोट का दर्द नहीं तीखा ...
हम वो कहाँ जो हार मान लें ,
हम धरा चीरने वाले हैं ...
हिम्मत रख आगे बढ़ते जो ,
हम तो वही मतवाले हैं........
- नवीन कुमार सोलंकी
- नवीन कुमार सोलंकी
बार बार गिरते हैं हम पर ,
जवाब देंहटाएंउठना गिरने से ही सीखा ...
बार बार चोटिल हैं पर ,
चोट का दर्द नहीं तीखा ...
हम वो कहाँ जो हार मान लें ,
bahut khub bhai, anavarat chalna hi zindagi hai....
aapka har prayas safal ho... shubhekshaye!
मनीष भाई बहुत बहुत शुक्रिया । आभारी भी आपके प्रेम व स्नेह के लिए ॥
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