बुधवार, 15 अगस्त 2012

तुम भी खरीदो साहब मैं आज़ादी बेचता हूँ.........




आज़ादी मिली है पर आज़ाद हम हुये नहीं
आबादी हुयी है पर आबाद हम हुये नहीं

मासूम बेचते हैं झंडे ये आजादी के
देखते हैं सपने कुछ देर आबादी के

शीशे के उस तरफ की दुनिया इक नयी है
पर वक़्त है बहुत कम परेशानियाँ कई हैं

ये सोचकर के उसको आगे ही बढ़ जाना है
कुछ पैसे हों जेब मे तब ही तो घर जाना है

तुम भी खरीदो साहब मैं आज़ादी बेचता हूँ
कुछ तो रहम करो आज खाने की सोचता हूँ

चेहरे बदल गए हैं पर कुर्सियाँ वही हैं
दम तोड़ते इंसा की मजबूरियां वही हैं

भूख गरीबी महगाई मुह खोल कर खड़ी हैं
आतंक का है साया डर-भय हर घड़ी हैं

खैर फिर नए वादो की बौछार की जाएगी
जनता को फुलझड़ी की चमक दिख जाएगी

नेताओ नौकरशाहों का भी दोष कुछ नहीं है
जनता खुशी से लुट रही है और रोष भी नहीं है

ना देखना है ना सुनना है ना बोलना कुछ बुरा है
बस करते ही जाना है गांधी का मशविरा है

भगत सिंह के किस्से कुछ स्कूलों तक रहे हैं
आजाद सुभाष अब वक़्त की सिलवटों मे गुम रहे हैं 

हम दबे हुये हैं शायद नेहरू गांधी के कथित अहसानों से 
कैसे कोई शुरू करे फिर वीरों के अफसानो से

भूल गए हैं हम शहीदों के जीवन भर के अहसानों को
कुछ पल फिर भी याद करो उन वीरों के बलिदानो को

खैर सब छोड़ो अब “जय हिन्द” बोलते हैं
बांटो मिठाई मनाओ खुशियाँ एसा ही सब बोलते हैं

अभी खुशी मनाकर निवृत मैं हो गया हूँ
और अगली साल तक निश्चिंत हो गया हूँ

जय हिन्द
जय भारत
-नवीन सोलंकी 

स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाए 

मंगलवार, 17 जुलाई 2012

फिर दीवाना बनाया उन्होने हमे....


नजरों को उठाकर बुलाया हमे....



पलकें बिछाकर बिठाया हमे....

दिल की गहराईयों मे लेकर गईं...

फिर नज़र से पिलाया उन्होने हमे....


आँखें एसी नशीली खींचती थी हमे...

देखते थे उन्हे,वो देखती थी हमे....

क्या अदा थी कि शरमा के मुस्का गईं...

फिर दीवाना बनाया उन्होने हमे....


राज की बात उन्होने बताई हमे....

इक अदा फिर नयी दिखाई हमे.....

कुछ बाते जो समझ आई नहीं....

फिर नज़र से समझाया उन्होने हमे....


बहारों के मौसम नजर आए हमे.....

हसीं वो नज़ारे खींच लाये हमे.....

दुनिया से दूर हमको वो यूं ले गईं...

फिर जलवा दिखाया उन्होने हमे......


- नवीन सोलंकी 

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

दिल अपना बस साज है ............


"खुलकर नील गगन मे बहती एक नयी परवाज़ है.....
 गूंज  रही जो जग भर यू वो एक मेरी आवाज़ है...... 
 तानों पर तेरे बोलों की, देता है जो राग नए....
 ये जो मेरा दिल है अब बस तेरे दिल का साज है......-- नवीन कुमार सोलंकी "