सोमवार, 16 अप्रैल 2012

दिल अपना बस साज है ............


"खुलकर नील गगन मे बहती एक नयी परवाज़ है.....
 गूंज  रही जो जग भर यू वो एक मेरी आवाज़ है...... 
 तानों पर तेरे बोलों की, देता है जो राग नए....
 ये जो मेरा दिल है अब बस तेरे दिल का साज है......-- नवीन कुमार सोलंकी "