"खुलकर नील गगन मे बहती एक नयी परवाज़ है.....
गूंज रही जो जग भर यू वो एक मेरी आवाज़ है......
तानों पर तेरे बोलों की, देता है जो राग नए....
ये जो मेरा दिल है अब बस तेरे दिल का साज है......-- नवीन कुमार सोलंकी "
जज़्बात में आप मेरी हिंदी कविताओं ,गजलों व अन्य रचनाओं का लुत्फ़ उठा सकेंगे..... सचमुच इन जज्बातों पर किसी का जोर नहीं चलता........मेरा यह ब्लॉग मेरे सभी प्रियजनों को समापित है जो कहीं न कहीं मेरे ह्रदय से जुड़े रहे हैं.. तो आईये आप भी इन जज्बातों के साथ बहने की कोशिश करिए........ -नवीन कुमार सोलंकी
बहुत सुन्दर नवीन भाई...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मनीष भाई :))
जवाब देंहटाएंachha likha he dr. Sahab....
जवाब देंहटाएंपंकज जी बहुत बहुत शुक्रिया.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन , बधाई.
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