नजरों को उठाकर बुलाया हमे....
पलकें बिछाकर बिठाया हमे....
दिल की गहराईयों मे लेकर गईं...
फिर नज़र से पिलाया उन्होने हमे....
आँखें एसी नशीली खींचती थी हमे...
देखते थे उन्हे,वो देखती थी हमे....
क्या अदा थी कि शरमा के मुस्का गईं...
फिर दीवाना बनाया उन्होने हमे....
राज की बात उन्होने बताई हमे....
इक अदा फिर नयी दिखाई हमे.....
कुछ बाते जो समझ आई नहीं....
फिर नज़र से समझाया उन्होने हमे....
बहारों के मौसम नजर आए हमे.....
हसीं वो नज़ारे खींच लाये हमे.....
दुनिया से दूर हमको वो यूं ले गईं...
फिर जलवा दिखाया उन्होने हमे......
- नवीन सोलंकी
खुबसूरत अभिव्यक्ति भाई जी...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मनीष जी ..... :)
हटाएंnice welcome to my blog www.utkarsh-meyar.blogspot.com
जवाब देंहटाएंशुक्रिया उत्कर्ष जी ...... अभी अभी आपका blog देखा बहुत सुंदर
हटाएं